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चौथी औद्योगिक क्रान्ति और नौकरियों का बदलता स्वरूप (भाग-2)

Humans and AI working together.

जैसे चौथी औद्योगिक क्रांति वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नया आकार दे रही है, रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमता वाली मशीनें नौकरियों को ख़त्म नहीं कर रहीं परन्तु रोज़गार का स्वरूप ज़रूर बदल रहीं हैं. आने वाले समय में कम-कौशल, कम-वेतन और उच्च-कौशल, उच्च-वेतन वाली नौकरियां तो अधिकतर बनी रहेंगी, लेकिन मौजूदा मध्य-स्तरीय नौकरियों के गायब हो जाने की बहुत सम्भावना है. अर्थशास्त्री इसको ‘job polarisation’ यानी ‘नौकरियों का ध्रुवीकरण’ कहते हैं, जब केवल दो सिरों में चीज़ें होती हैं और मध्य खोखला हो जाता है. उभरती अर्थव्यवस्था का स्वरूप कुछ रेट-घड़ी की आकृति जैसा हो सकता है.

ऐसा देखा गया है की जब मध्य-स्तरीय नौकरियां ख़त्म होती हैं तब अधिकतर लोग जो ये नौकरियाँ कर रहे थे, वे ऐसे जटिल कौशल नहीं सीख पाते जिनको सीख वे उच्च-कौशल उच्च-वेतन वाली नौकरियाँ पा लें और इसलिए वे नीचे की तरफ आ जाते हैं जहाँ कम-कौशल कम-वेतन वाली नौकरियाँ विद्यमान हैं. निचली तरफ बढ़ती आपूर्ति और स्थिर माँग (increasing supply and unchanging demand) कारण बनती है वेतन को और कम करने का. अगर आप ऊपर की तरफ विद्यमान उच्च-कौशल और उच्च-वेतन वाली नौकरियां चाहते हैं तो आपको लगातार नवीन दक्षता और नए कौशल सीखने पड़ेंगे ताकि आप बदलती परिस्थियों के अनुरूप अपने को ढाल सकें.

तो वो कौनसे जीवन कौशल हैं जो आपको उच्च-वेतन वाले रोज़गार के काबिल बना सकते हैं?

इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें सोचना होगा की कौन से ऐसे काम हैं जो आने वाले समय में भी रोबोट और बुद्धिमान मशीन नहीं कर पायेंगी?

इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता, Frey और Osborne के मुताबिक हस्त-निपुणता (manual dexterity), उच्च संज्ञानात्मक कौशल (high cognitive skills) और सामाजिक कौशल (social skills) ऐसे क्षेत्र हैं जिनका कम्प्युटरीकरण कठिन है और इसलिए ऐसे कौशल वाले काम करने के लिए हम मनुष्यों की ज़रुरत बनी रहेगी. उदाहरणतः आने वाले समय मैं नैनो-मशीनें (एक परमाणु जितनी छोटी मशीनें) बहुत महीन काम कर पायेंगी, पर तब भी हाथ से किये गए बहुत बारीक काम की माँग बनी रहेगी और ख़ास ऑनलाइन बाज़ार, जैसे etsy, ऐसे हुनर वाले काम की माँग को बढ़ायेंगे और पूरा करेने में मदद करेंगे.

मध्य-स्तरीय प्रशासनिक नौकरियां (middle-tier administrative jobs) जहाँ काम नियम-आधारित है, जैसे अकाउंटेंट का काम, ऐसी नौकरियों को बुद्धिमान मशीनें प्रतिस्थापित कर देंगी ऐसा होने की बहुत संभावना है. जबकी देखभाल और आतिथ्य सम्बंधित व्यवसायों की कंप्यूटरीकरण द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने की संभावना कम है. चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति के कारण मनुष्य का जीवनकाल बढ़ रहा है. बूढ़ी होती आबादी को अधिक देखभाल की ज़रुरत पड़ेगी. बुद्धिमान मशीनें चिकित्सा निदान (medical diagnostics) को तो बहुत सटीक (accurate) बना देंगी परन्तु इस कारण डॉक्टरों को मरीज़ों के साथ और भी ज़्यादा संवेदनशील होना पड़ेगा.

देखभाल, सहानुभूति, और संवेदनशीलता ऐसे जीवनकौशल हैं जिनकी आने वाले समय में बहुत माँग होगी.

आभासी और संवर्धित वास्तविकता (virtual and augmented reality) का ज़्यादा व्यापक प्रयोग होगा और इस कारण विशुद्ध अनुभवों (authentic experiences) की माँग बढ़ेगी. आतिथ्य और फिटनेस उद्योग में भी नौकरियों बढ़ेंगी. आत्म-निरीक्षण, आत्म-जागरूकता और ध्यान (meditation) को प्रोत्साहित करने से जुड़े रोज़गार की माँग के बढ़ने की भी काफी सम्भावना है.

आज की दुनिया की समस्याएं, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, ऊर्जा संकट, पीने योग्य पानी की कमी, बढ़ती वैश्विक आबादी, ये सभी जटिल समस्याएं हैं. ऐसी जटिल समस्याओं के नवीन समाधान सोचने के कौशल, विशेष रूप से मानव बुद्धिमता और कृत्रिम बुद्धिमता को जोड़ सकना, जिसको computational thinking कहते हैं, की बेहद माँग होगी.

नई उच्च-वेतन वाली नौकरियां ज्ञान और प्रतिभा गहन होंगी (knowledge and talent intensive). उदाहरणतः जैसे-जैसे sensors घरों में गर्म, ठंडा, रोशनी, हवा और अन्य यंत्रों को नियंत्रित करने लगे हैं (जिसको गृह-स्वचालन या home automation कहते हैं), एक आम भवन निर्माण कामगार को भी इलेक्ट्रॉनिक्स की थोड़ी जानकारी होना आवश्यक हो जायेगा.

एक बावर्ची जो न केवल स्वाद के लिए खाना बनाता है पर फिटनेस को भी समझता है और एक संपूर्ण स्वस्थ जीवन शैली के लिए खाना बनाता है वह निश्चित ही ज़्यादा कमा पायेगा. आज एक गाड़ी में इतनी कंप्यूटिंग शक्ति मौजूद है की कार के डिजाइनरों को कंप्यूटर और डेटा विश्लेषण की जानकारी होना अनिवार्य हो गया है.

आने वाले सालों में ऐसी समझ की ज़रुरत बड़ेगी जब स्वचालित गाड़ियाँ, जिनमें कहीं ज़्यादा कंप्यूटर लगे होंगे, अत्यधिक मात्रा में डाटा उत्पन्न करेंगी, जिस डाटा का विश्लेषण कर गाड़ी के प्रदर्शन और क्षमता को और सुधारा जा सकता है. मानव-मशीन बुद्धिमता को जोड़, डाटा में प्रतिमान ढूंढ पाना (finding patterns in the data) और दो असमंधित प्रतीत होते विषयों को जोड़ समस्याओं के नवीन समाधान ढूंढ पाना, ऐसी काबलियत की माँग आने वाले दशकों में अत्यधिक बढ़ेगी.

आने वाले समय में आप शायद कभी रिटायर नहीं होंगे और बहुत लम्बे अरसे तक काम करते रहेंगे. रहने की बेहतर परिस्तिथियाँ और चिकित्सा में सुधार हमारे जीवन काल को बढ़ा रहे हैं. इसका मतलब है की हमारा जीवन लम्बा होगा और इसलिए हमें लम्बे अरसे तक काम भी करना पड़ेगा.

एक नयी किस्म की वैश्विक अर्थव्यवस्था उभर रही है जिसको गिग इकॉनमी कहा जा रहा है. इस अर्थव्यवस्था में संविदात्मक (contractual) और फ्रीलान्स काम बढ़ रहा है और पारम्परिक नौकरियाँ कम हो रहीं हैं.

Freelance work also called gig economy

गिग शब्द संगीत की दुनिया से लिया गया है. संगीतकार फुल-टाइम नौकरी नहीं करते, एक कार्यक्रम से दूसरे कार्यक्रम में प्रदर्शन कर अपनी जीविका चलाते हैं. काम करने का यह प्रोजेक्ट-आधारित तरीका गिग इकोनॉमी में एक नया आदर्श बन सकता है. अच्छी खबर यह है कि हाइपर-कनेक्टिविटी आपको विश्व स्तर पर अपने ज्ञान, विशेषज्ञता, प्रतिभा या कौशल को बाजार में लाने की अनुमति देती है. परन्तु, गिग इकॉनमी में सफलता के लिए औसत काम नहीं करेगी. आप जो भी करते हैं, उस काम में आपको अति-उत्कृष्ट होना पड़ेगा, और थोड़ा जोखिम लेने की क्षमता भी विकसित करनी पड़ेगी. इस नयी अर्थव्यवस्था के नकारात्मक पक्ष भी हैं जैसे – आय में उतार-चढ़ाव, कोई कॉर्पोरेट बीमा नहीं, कोई सशुल्क छुट्टी नहीं, और कोई पेंशन नहीं. आने वाले समय में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ सहजता और वित्तीय साक्षरता (financial literacy) किसी भी प्रकार की नौकरी, उद्यम, या गिग इकॉनमी में फ्रीलान्स काम, सभी के लिए अनिवार्य हो जाएगी.

निष्कर्ष में, इतिहास बताता है कि जब भी कौशल, प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल नहीं रखते, तब परिणाम सामाजिक असमानता ही होता है. बदलते आर्थिक परिदृश्य से जूझने के लिए, हालांकि सरकारें नयी नीतियाँ सुझायेंगी, जैसे कुछ देश यूनिवर्सल बेसिक इनकम का प्रस्ताव रख रहें हैं, और सरकारें नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा निवारण (social safety net) दे रहीं हैं, खासकर उन लोगों को जो कम-कौशल, कम वेतन वाले चक्रव्यूह में फँसनें कि ज़्यादा सम्भावना रखते हैं, आपको विचार करना है कि क्या चौथी औद्योगिक क्रांति जो अभूतपूर्व परिवर्तन ला रही है, वह आपके लिए एक चुनौती बन जाएगा, या आप नए कौशल सीख आने वाले सुनहरे अवसरों का पूरा लाभ उठा पायेंगे.

लेखक: कालातीत कौशल
संस्थापक, कालातीत जीवनकौशल