मानसिक शार्ट-कट यानि heuristics, रोज़मर्रा के निर्णय लेने में बहुत सहायक सिद्ध होते हैं क्योंकि फिर हमें routine decisions लेने में कम दिमाग लगाना पड़ता है। मगर, हमारी जो धारणाएँ बचपन से हममें विकसित हुईं हैं, जो इन मानसिक शॉर्टकट्स का आधार हैं, वे हमारी सोच पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती हैं, खासकर उन परिस्थितियों में जहाँ आवश्यकता है अपनी आटोमेटिक थिंकिंग के बदले हम सोच-समझ कर निर्णय लें। इस वीडियो में हम समझते हैं की कैसे कभी-कभी मानसिक शॉर्टकट्स यानि heuristics-based thinking बाधक साबित होती है।
सुपर लर्नर कैसे बनें
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स्पष्ट सोच कैसे विकसित करें
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